Book Title: Jaisalmer Puratattvik Tathya Author(s): Bhanvarlal Nahta Publisher: Z_Yatindrasuri_Diksha_Shatabdi_Smarak_Granth_012036.pdf View full book textPage 8
________________ --चतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्थ - इतिहास सेठ झांझण जैतो सोमो मोकल 99 मालोर ठाकुर बूचो मोकल 1 पातो२ हरराज कुंभो 1 पदमी मालो२ ठाकुर३ बरजांग 1 वीदा 2 हरखो 3 झाझो पेसो जावड़ करमो मेरो रुपो 1 राणौ 2 रायपाल 3 अमीपाल श्रीकर्ण देदो (ये सब बागसूरी में है।) (बूंदी छै) (कोठिये छै) साकर समरथर नेमो३ नोडो 4 सदो५ (खान लै मसूदै वास छै) अमरो 1 लाखो 2 वीरपाल 3 कालो 4 जोधा 5 तेजी सावल वछा 1 हासो 2 हेमो 3 नेतो 1 खेतों 2 कालो देवराज / वछौ जीवो 1 जगू 2 लधो 3 भैरव 4 वधो वृद्ध आद्यगणे जैतारण रा.......... सेठ नाथा खेतोजी 1 हीरो 2 मानो 3 देदो 4 ईसर सोभा 1 आभार तिलोक चंद 1 खुश्याल चंद 2 गुमान चंद 3 हरचंद 4 खीमराज 1 भीमराज 2 माणकचंद - भैरो महाचंद 1 विरधो 2 मोती 3 जीवराज 1 विजयराज 2 खूबो 1 हुकमो 2 चेनो 3 सवाई 4 हेमराज 1 अखो 2 विनयचंद 3 सांवत 4 रूपो यह वंशवृक्ष पूज्य श्री जिनधर्मेन्द्रसूरिजी महाराज के दफ्तर के आधार पर तैयार किया गया है। यद्यपि शिलालेखों तथा कल्पसूत्रप्रशस्ति के तत्कालीन उल्लेखित कीहट के वंशजों के नामों में नामांतर हो सकता है। यह अंतर दो पत्नियों या ऐसे अन्य किसी कारण से हो सकता है ? इन वंशावृक्षों में जहाँ तक नाम आए हैं, उनके बाद उनके वंशज वर्तमान के नाम जोड़कर इन्हे पूरा कर सकते हैं। श्री पार्श्वनाथ भगवान के वर्तमान जिनालय तथा इससे पूर्व के जिनालय का वर्णन ताडपत्रीय ग्रंथों तथा युगप्रधानाचार्य गुर्वावली से लिया गया है तथा वर्तमान का इतिहास श्रीपूज्य जी के दफ्तर, कल्पसूत्रप्रशस्ति तथा शिलालेखों के आधार पर लिखा गया है। जैसलमेरके कलापूर्ण जैनमंदिर तो अपने कला एवं वैभव के लिए विश्वविश्रुत हैं। milaritairrorisutrawbrowamisamarorishivariridi120dmiritinidiomidnidmirmidiomiadmirabarivarta Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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