Book Title: Jainology Parichaya 02
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: Sanmati Tirth Prakashan Pune

View full book text
Previous | Next

Page 38
________________ ४) भक्ख - खाना । तुम्हे सुहेण भक्खिस्सह/भक्खिहिह । तुम सुखपूर्वक खाना खाओगे । ५) सुण - सुनना । सो मम ण सुणिस्सइ/सुणिहिइ । वह मेरा नहीं सुनेगा। ६) गा - गाना । ते महुरं गीयं गाइस्संति/गाइहिंति । वे मधुर गीत गायेंगे । ७)हण - मारना । बंभणो जीवा न हणिस्सइ । ब्राह्मण जीवों को नहीं मारेगा । ८) हो - होना । सव्वेजणा सुहिणो होइस्संति/होइहिंति । सब लोग सुखी होंगे। ९) वंद - वंदन करना । नेहा जिणपडिमं वंदिस्सइ/वंदिहिइ । स्नेहा जिनप्रतिमा को वंदन करेगी । १०) दे - देना । मुणिवरो अम्हे सावयवयाई देइस्सइ/देइहिइ । मुनिवर हमें श्रावकव्रत देंगे। ११) उड्ड - उडना । पक्खी पंजराओ उड्डिस्सइ/उड्डिहिइ । पक्षी पिंजरे से उडेगा । (१) व्याकरणपाठ अभ्यासविषयक सूचनाएँ। * परीक्षा में व्याकरणपाठ पर आधारित प्रश्न लगभग १० गुणों के होंगे । * नामविभक्ति पर आधारित प्रश्न अकारान्त पुल्लिंगी और आकारान्त स्त्रीलिंगी शब्दों पर आधारित होंगे । * क्रियापद पर आधारित प्रश्न वर्तमानकाल, भूतकाल एवं भविष्यकाल पर आधारित होंगे ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 36 37 38 39 40 41