Book Title: Jainism For Beginners Level 01
Author(s): Sayampurnashreeji
Publisher: Sayampurnashreeji

View full book text
Previous | Next

Page 18
________________ कोड़ी सागरोपम पहला आरा -4 कोड़ाकाड़ी सागरोग सुषम-सुषम दी सागरोपम सषम-सक्षम उत्सर्पिणी मळवा4 काड़ाकोटी आरा दूसरा कोडाकोड़ी सास आरा कोड़ाकाड़ा सागरोपण सुषम ene कल्प वक्ष पसलियों पसलियाँ 256256 सुषम BA कोडाकोड़ी सागरोप BAR शरीर 3 कोस आयुष्य पल्योपम आहार/ 3दिन से अंगलिक मलिया पसिनामि आरा/ सुषम-2 शरीर 2 कोस शरीर 3 कोस आयुष्य 3पल्यो.. आहार 3 दिन से तवर प्रमाण आरा वटी सागरोपम/वीसरा 2 कोडाकोसी 2दिनमा आझर शरीर आय.1 पल्यालायु. गरकास प्रमाण | आयु.2 शरीर 2 कोस मलिया 60 बेर SAIRA आह प्रमाण 2 दिन चौथा किषित आहार दिल/ the-tha JAIH प्रमाण आँवला Mera नियमित विला बारह आरा कालचक्र 20 कोडा कोडी सागरोपम आयु. 1 पल्यो. शरीर 1 कोस | आहार 1 दिन/का नाथ / ap) what is आहार श.500 धनुष आय.पूर्व क्रोड़ आहार आनयमिता श.5004 आरा आरा दुबम-सुषम 17hhike सरा 42000 व न्यून 10 आ. 1331 वर्ष अन्त में सर्वप्रलय प.नहाय श.7 हाथ पसलियाँ आ.133 Kale वर्ष अन्न MR/ श.1हाथ आयु. 20 /वर्ष बिलवासी। श.1हाथ 20- आय, 20 सर्वप्रलय Chhaha लवासी बिलवार यन्त्र प्रयोग नरकगामी मत्स भोजन वर्ष न्यून 1 का का सगा । HTER वज्ञानिक एमलिया शक्तिः • कन्या किया (संसलिया पलिया लि 21000 वर्ष सूखंदा - RA (दूसरा आरा210 म्याडोज नयापन धानओस्वोन्डाल दुःषम-दःषम 21000 वर्ष दुःषम पाँचों) A21000 वर्षआरा छठवा आरा पहला आरा दुःषम-दुःषम 21000 वर्ष अवसर्पिणी 6. tirth, dharma tirthankar (One who reveals the dharma) Twenty four Tirthankars are born in every Utsarpini phase and Avasarpini phase. They, by means of their endeavour, become absolutely enlightened; they become devoid of attachments: they become Jins; and for the spiritual welfare of all creatures in the Universe, they establish and expound the philosophy, all this happens in the fourth aara. Because they establish the philosophy, they are called Tirhthankars. One definition of Tirth or Sangha or society is Chauvanno Sangho Tittham. This four fold society of Sadhus, Sadhvis, Shravaks and Shravikas is together called Tirth. GUIDELINES OF JAINISM

Loading...

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108