Book Title: Jain Vidya ka Sanskrutik Avadan
Author(s): Ramchandra Dwivedi, Prem Suman Jain
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 204
________________ लेखक-परिचय १. मुनि जिनविजय, पुरातत्त्वाचार्य द्वारा लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मंदिर अहमदाबाद २. डॉ. रामचन्द्र द्विवेदी, एम० ए०, पी-एच० डी०, साहित्याचार्य, दर्शनाचार्य प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, उदयपुर विश्वविद्यालय, उदयपुर ३. डॉ० प्रेम सुमन जैन, एम० ए० (पालि, प्राकृत एवं प्राचीन इतिहास), पी-एच० डी०, साहित्याचार्य सहायक प्रोफेसर--प्राकृत, संस्कृत विभाग, उदयपुर विश्वविद्यालय, उदयपुर ४. डॉ० पी० एस० लांबा, एम० एस-सी०, पी-एच० डी० कुलपति, उदयपुर विश्वविद्यालय, उदयपुर ५. (स्व०) डॉ० आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये, एम० ए०, डी० लिट. भूतपूर्व प्रोफेसर एवं अध्यक्ष-स्नातकोत्तर प्राकृत एवं जैन विद्या विभाग, मैसूर विश्वविद्यालय ६. प्रो० कृष्णदत्त वाजपेयी, एम० ए० टैगोर प्रोफेसर एवं अध्यक्ष-प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति तथा पुरात्तत्त्व विभाग, सागर विश्वविद्यालय, सागर ७. साध्वी संघमित्रा ___ संघ-आचार्यश्री तुलसी, जैन विश्वभारती, लाडनूं (राजस्थान) ८. (स्व०) डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री, एम० ए०, पी-एच० डी०, डी० लिट, ज्योतिषाचार्य भूतपूर्व अध्यक्ष, संस्कृत एवं प्राकृत विभाग, जैन कॉलेज, आरा ६. डॉ० मूलचन्द्र पाठक, एम० ए० (संस्कृत, हिन्दी), पी-एच० डी० सहायक प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, उदयपुर विश्वविद्यालय, उदयपुर

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