Book Title: Jain Thought and Culture
Author(s): G C Pandey
Publisher: University of Rajasthan
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APPENDIX THĀNAMGA TEXT ON MUSIC
(Major variant readings are given from the Anuôgaddāra text published in a critical edition by Sri Mahavira Jain Vidyalaya, Bombay)
सत्त सरा पण्णत्ता, त जहा
सज्जे रिसहे गधारे मज्झिमे पचमे सरे ।
धेवए चेव निस्साए सरा सत्त वियाहिया ॥1॥ एएसि ण सत्तण्ह सराण सन सरट्ठाणा पण्णात्ता, त जहा
सज्ज च अग्गजीहाए उरेण रिसए मर । कठुग्गएण गधार मज्झजीहाए मज्झिम ।।2।। नासाए पचम बूया दतो?ण य धेवय ।
मुद्धाण! य ऐसाय सरढाणा वियाहिया ।।3।। मत्तसरा जीवणिस्सिया पण्णत्ता, त जहा
सज्ज रवइ मऊरो कुक्कुडो रिसए सर । हसो णदइ गधार मज्झिम च गवेलगा ।।4।। अह कुसुमसभवे काले कोइला पचम सर ।
छह च सरसा कोचा नेसाय सत्तम गया 11511 मत्तसरा अजीवणिस्सिया पण्णत्ता, त जहा
सज्ज रवइ मुयगो गोमुही रिसह सर । सखौ णदइ3 गधार मज्झिम पुण मल्लरी ॥6।। चउचलण पइठ्ठाणा गायिा पचम सर ।
श्राडम्बरो घेवइय महाभेरी य सत्तम ।।7।। 1 भमुहह्मक्खेवेण।
रवइ । रवइ।
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