Book Title: Jain Tarka Bhasha
Author(s): Yashovijay Upadhyay, Sukhlal Sanghavi, Mahendrakumar Shastri, Dalsukh Malvania
Publisher: Saraswati Pustak Bhandar Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 99
________________ जैनसर्कभाषागतानाम्२. जैनतर्कभाषागताना पारिभाषिकशन्दानां सूची। अकिलिस्कर १८.२९. अनुवृत्ति १२. २०. भक्ष (इन्द्रिय) २.७.६.२०, २१. अनुसन्धान ६.५. अक्ष (जीव)२.९; अनैकान्तिक (हेत्वाभास) १८.४, २३ भक्षार (श्रुतज्ञान) ७. २, ३. अनैकास्तिकत्व १२.१०. अगमिक ७.१८. अन्तर्जल्प २.२५ अजीब २८.१६; 10. अन्तर्मुहूर्त ६.४. भज्ञान १८. ५. अन्ताति १२. २१-२३, २६. __ निवर्तक ११. २५. अन्यतरासिद (हेत्वाभास) १८.५,९,११,१७,१८. अतिवेशवाक्य १०.११.५. अन्यथानुपपत्ति ८.०, १२. १७, १३. ५१६. मध्यवसाय ४. १२,२१. १५२१. ___३, १७. १,१८.२, २३, १६.५. मनक्षर ( श्रुतज्ञान)७... अन्वय ६. २०.२२, १०.२६. मनाप्रविष्ट ७.७१९. धर्म ५.१५, २७. भमभ्यवसाय १३. १४. अपर (संग्रहनय) २२.९, १२. अनध्यवसित १३. ९. अपर्यवसित (श्रुतज्ञान)७.१७. अनन्तधर्मात्मक २०.८,२१. ११. अपाय ३. २, ४. १६; ५.८, २३, २५, २०, ३०; अनन्तवीर्यस्व .. २६. भनन्वय १४. १६१८. अपारमार्थिक २.१५,२४. १८. दोष १३.२.. अप्रतिपातिन् (अवधिज्ञान)... भनभिमत १३. ११. अप्रतीत १३. ९,.. अनभ्युपगत १८.१८. अप्रधानाचार्य २६. ४. अनर्पितनय २३.१६,१७. अप्रमाणत्व १४. २६; अनर्पितामास २५. ५. भप्रमारव ६.३. अनाकारोप्रयोग ४. २२. अप्रयोजक १६. .. अनादि (श्रुतज्ञान)७. १५. अप्राप्यकारिवं ३.१३४.३. अनादिनिधन २८. २०. अबाधित १३.१७. अनानुगामिक (अवधिज्ञान) ७.२७. अबाधितविषयत्व १३. ३. भनिग्रह १८.१४. अभीप्सित १३. ९,७,१८१४. १६,१८. अनिन्द्रियज (साम्यवहारिक) २. २०; २.. अभेदवृत्ति २०.१७-२३, २५,२७. अनिराकृत १३. ९, 1.10. भभेदोपचार २०.०२१. ५. भनिश्रित (मतिज्ञान)६.२०. अभ्यस्त ६.१७. अनुगामिन् (भवधिज्ञान) ७. २४. अम्यूहन १६. १३. अनुपयुक्क २६. २०. अर्थ (कालादिगत) २०.१५, १९२९. अनुपयोग २६. ४. अर्थक्रिया १५.८,२१. २. अनुपलम्म ११. १३,";"... अर्थक्रियासमर्थ १५ .. अनुभव ६.२,६७९,२९. मर्थनय २३. १५. भनुभूत १०. १३. मर्थनयामास २५.३. अनुमान ८.०,२९,६.२६, १२.२, ५, १२,२५%, अर्थपर्याय २२. १. १३. १५, १४.२, १०, २५, १५. १७१३. | मप्रतिपादक १६... १६.८. अर्थप्रापकत्व १६.१५ अंनुमिति8.३,४,७,८,१२. १ ६.१५., अर्थसंवेदन १६. ५. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110