Book Title: Jain Subodh Ratnavali
Author(s): Hiralal Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal Kimti Haidrabad

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Page 14
________________ षणका भाषण १२२ । ८५ मानतुंग मानवतीकी ७२ बिभीषणकी रावण- लावणी. १८७ को हितशीक्षा. १२४ ८६ एलची पुत्र-चरित्र __७३ मंदोदरी राणीको ___लावणी. १६३ रावणका हितशीक्षा१२८ । ८७ जंबु कुंवर के स्त्री७४ रावणको भविष ___ यांसे प्रश्नोतर. १६५ की शिखामण. १२९ | ८८ जंबुकुंवरकाजवाब १६६ ७५:सीताजीकी खबर ८९ सुदर्शन शेठ. . १६७ हनुमानजी लाए. १३० ९० अधरवर्णोका सवैया१६९ ७६ रामजीकी जीत. १३१ । ९१ सालतका३२उपमा ७७ सीताजीकी धीज. १३४ सवैया... १७२ ७८ रामचंद्रजीकी मोक्ष. १३६ ९२ नवरस वर्णन-सवैया१७८ ७२ श्रेणिक चरित्र. १४० ९३ पाटावलीके सवैया.१८४ ८० कोणिक चेडाका युद्ध ९४ बारा भावनाका वर्णन लावणी. १४३ सवैया. १८७ ८१ श्रावक वर्णनागन. रत्नचंदजी तवाकी सझाय. १४५ महाराजके गुण८२ महाशतकजी श्राव ग्राम-सवैया. १९४ ककी सझाय. १४७ ९६ उपदेशी छप्पयछंद १९५ ८. सतीचंदनवाला ९७ श्राविकागुणस्तवन. १९८ । चरित्र-लावणी. १४९ | ९८ कान्फस वर्णन '८४ वंकचूल सम्बंध. १५३ । टुमरी.

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