Book Title: Jain Shwetambar Terapanthi Sampraday ka Sankshipta Itihas
Author(s): Jain Shwetambar Terapanthi Sabha
Publisher: Malva Jain Shwetambar Terapanthi Sabha

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Page 41
________________ ( ३८ ) उपवास दिन संख्या उपवास दिन संख्या | 4 s oc ww 6 r mr 10mn 6 or or इसके अतिरिक्त उन्होंने ६ वर्षों तक एकान्तरकी तपस्या की और ६ वर्षों तक बेले २ की तपस्या । ७३ दिनकी लगातार तपस्या कर चुकने पर सं० १६६० मिति चैत वदी ७ के दिन चाडवासमें आपका स्वर्गारोहण हो ण्या। तपस्याके ५६ वें दिनसे उन्होंने जलको छोड़ और सब चीजोंके खाने पीनेका त्याग कर दिया था । अन्तिम ७ दिनोंमें तो उन्होंने जल सकका भी त्याग कर दिया । गृहस्थाश्रममें भी उन्होंने ३० दिनकी तपस्या तथा अन्य फुटकर तपस्याएं की थीं। - उपरमें जैन श्वेताम्बर तेरापन्थी सम्प्रदायके साधुओंकी तपस्याका कुछ वर्णन दिया गया है। ___यहां यह भी बतला देना आवश्यक होगा कि इन तपस्याओंका उद्देश्य एक मात्र आत्मिक कल्याण ही है। पाठक, सामाजिक, राजनैतिक तथा ऐसे ही अन्य उद्देश्योंसे किए गये उपवासोंसे अवश्य परिचित होंगे परन्तु जैनेतर जनताको शायद यह मालूम न होगा कि जैनियोंके उपवास इनसे कहीं ऊँचे उद्देश्यके लिए किये जाते हैं । आत्म कल्याण

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