Book Title: Jain Shravakachar me Pandraha Karmadan Ek Samiksha
Author(s): Kaumudi Sunil Baldota
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 13
________________ डिसेम्बर 2008 सन्दर्भ-ग्रन्थ-सूचि 1. आचारांग (आयार) : अंगसुत्ताणि 1, जैन विश्वभारती, लाडनूं (राजस्थान), वि.सं. 2031 2. आवश्यकसूत्र (आवस्सयसुत्त) : महावीर जैन विद्यालय, मुंबई, 1977 3. उपासकदशा (उवासगदसा) : अंगसुत्ताणि 3, जैन विश्वभारती, लाडनूं (राजस्थान), वि.सं. 2031 4. जैन ज्ञानकोश (भाग-४) : सं. अज्ञात, मातोश्री चतुरबाई जैन ग्रन्थमाला ट्रस्ट, औरंगाबाद, वि.सं. 2040 तत्त्वार्थाधिगमसूत्र : उमास्वाति, स्वोपज्ञभाष्यसहित, सिद्धेसनगणिकृत टीका, दे.ला.जै.पु., सूरत, 1930 भगवती (भगवई) : अंगसुत्ताणि 2, जैन विश्वभारती, लाडनूं (राजस्थान), वि.सं. 2031 7. भगवतीसूत्रटीका : अभयदेवसूरि, आगमोदय समिति, रतलाम, निर्णयसागर प्रेस, मुंबई, 1919 8. भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान : सं. डॉ. हीरालाल जैन, भोपाल, 1962 श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्रम् : रत्नशेखरसूरिकृत टीकासहित, देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार, मुंबई, 1919 10. श्रावकधर्मविधिप्रकरणम् : हरिभद्रसूरि, सं. चतुरविजयमुनि, जैन आत्मानन्द सभा, भावनगर, 1924 11. श्रावकप्रज्ञप्ति (सावयपण्णत्ति) : हरिभद्रसूरि, सं. बालचन्द्र शास्त्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, 1981 12. श्रावकाचार संग्रह : (खंड 1 से 4) सं. पं. हीरालाल सिद्धान्तालंकार, फलटण, 1976 गीतगोविंद हौसिंग सोसायटी, 'बी' बिल्डींग, 559/A-5 महर्षिनगर, पुणे-411037 फोन : (020) 24260663 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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