Book Title: Jain Shasan
Author(s): Sumeruchand Diwakar Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 510
________________ ४७४ जैन शासन पंक्ति १२४ अशुद्ध . शुद्ध विवेशोन्मत्त- विवेशो मत्तक्रीड़ा क्रीडा place peace continuos continuous शब्दाका शब्दका निस्परि- निष्परिकथन्तु कथन्नु 31-10-4 31-10-49 हरिविजय हीरविजय अनर्वचनीयता अनिर्वचनीयताmay nay orama MNNNNNNN एत कम्मस्स कामाणव कम्मस्सका माणव -तायीति तायाति क्रियाया क्रियया स्वयम्भ० स्वयम्भू० नेतार भत्तार नेतारं भत्तार २४० २४७ बैरग्गदुटोण तृणभुनिर्वाणकाड जस्सि २६० वरगदुट्ठोण तणभुनिर्माणकाड नास्ति लहते जुगुस्स year जकोवी २६६ रहते जुगस्स years कोवी

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