Book Title: Jain Shasan
Author(s): Sumeruchand Diwakar Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 514
________________ ज्ञानपीठके प्रागामी प्रकाशन [ जो सन् ५० में प्रकाशित हो रहे हैं ] १. हमारे आराध्य - ये रेखाचित्र श्री बनारसीदास चतुर्वेदीकी सर्वोत्तम कृति है । इसमे उन्होने अपनी आत्मा उडेल दी है । २. शेर-ओ-सखुन ( प्रथम भाग ) उर्दू शायरीका प्रारभसे ई० स० १९०० तक का प्रामाणिक इतिहास । तुलनात्मक विवेचन, निष्पक्ष आलोचना और इस अवधि मे हुए प्राय सभी मशहूर शायरोके श्रेष्ठतम कलामका सकलन तथा उनका परिचय | ३. सिद्धशिला ( काव्य ) सिद्धार्थके ख्यातिप्राप्त कवि श्री अनूप शर्माकी हिन्दी ससारको अमर देन । भगवान् महावीरका हृदयस्पर्शी जीवन । ४. रेखाचित्र और संस्मरण- हिन्दी के तपस्वी सेवक श्री बनारसीदास चतुर्वेदी की जीवनव्यापी साधना । उनकी अन्तरात्माकी प्रतिध्वनि । ५. बापू - हिन्दी के उदीयमान तरुण कवि श्री ' तन्मय' वखारिया की महात्मा गाधी के प्रति मूक श्रद्धाञ्जलि | ६. भारतीय ज्योतिष - ज्योतिषके अधिकारी विद्वान् श्री नेमिचद्र जी जैन ज्योतिषाचार्यकी प्रामाणिक कृति । ७. ज्ञानगंगा - ससारके महान् पुरुपोकी श्रेष्ठतम सूक्तिया । नोट -- जो १०) भेजकर स्थायी सदस्य बन जायगे उन्हें ये मूल्य में प्राप्त होगें । ग्रथ पौने

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