Book Title: Jain_Satyaprakash 1953 08
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
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खेडके शान्ति जिनालय संबन्धी उल्लेख लेखक : श्रीयुत अगरचंदजी नाहटा और भंवरलालजी नाहटा [ गतांकमें दिये हुए 'खेडके शिलालेख' शीर्षक लेखकी अनुपूर्ति ]
खेडके शान्ति जिनालयका उल्लेख पूर्व आ चुका है। उस समय उसकी प्रतिष्ठाके संवतादि उल्लेख जो संगृहीत थे उनकी स्मृति नहीं रही अतः इस परिशिष्टके रूप यहां उन्हें दिया जा रहा है:
१. जेसलमेर बृहद्ज्ञानभंडारकी १४वों शतीकी एक संग्रह प्रतिमें 'शान्तिनाथ रास' नामक अपूर्ण प्राचीन रास उपलब्ध हुआ है। यह रास बहु संभव उक्त शान्ति जिनालय प्रतिष्ठाके प्रसंग पर ही बनाया गया होगा। उक्त रासके प्रारंभमें ही इसका उल्लेख इस प्रकार किया गया है:"खेड़नयर जो संति उद्धरणि कराविउ, विहि समुदयस सुभत्ति जिणवइसूरि ठाविउ । २।"
२. 'युगप्रधानाचार्य गुर्वावलीमें खेड़ नगरका नाम " लवणखेटक" पाया जाता है। इस प्रतिष्ठाका उल्लेख इस प्रकार इसमें प्राप्त है:
"सं० १२५६ चैत्र वदि ५ लवणखेटे नेमिचंद्र-देवचंद्र-धर्मकीर्ति-देवेन्द्रनामानो तिनः कृताः । सं० १२५७ श्रीशांतिनाथदेवगृहे प्रतिष्ठारम्भः प्रधानशकुनामात्रे विलम्बितः। सं० १२५८ चैत्र वदि ५ शान्तिनाथ विधिचैत्ये श्रीशान्तिनाथ प्रतिमा प्रतिष्ठिता,-शिखरश्च ।”
अर्थात्-इस मंदिरकी प्रतिष्ठाएं १२५७ में होनी निश्चित हुई थी पर अच्छे शकुनों के अभावमें सं० १२५८ चैत्र वदि ५ के दिन शांतिनाथ विधिचैत्यके श्रीशान्सिनाथप्रभु और शिवरकी प्रतिष्ठा श्रीजिनपतिसूरिजीके करकमलोंसे सम्पन्न हुई।
३. चौदहवीं शतीके सुप्रसिद्ध विद्वान लक्ष्मीतिलकगणि रचित 'शान्तिनाथदेव रास'में इस प्रतिष्ठाका उल्लेख इस प्रकार पाया जाता है: - * तसु पड़िम गुरुमहिम निपडिमरूवया, सांपढिहि नंदणिण उद्धरिणि कारिया। खेड़ि जिणवयसूरिहि पासि पयठाविया, तहि जि परि दिवसि सवि उच्छवा संगया ॥४५॥
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