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जंन सिद्धान्तो में सामाजिकता
११७ व्यक्ति दोनो किनारो को छूते हैं भोर समाज की स्वस्थ रीति-नीति पर व्यक्ति के विकास का एव व्यक्ति की तेजस्विता पर समाज के उत्थान का मार्ग प्रगस्त करते हैं। दोनो के अन्योन्याश्रित सम्बन्धो से दोनो का विकास साधना चाहते हैं ताकि मनुष्य का निवृत्तिवाद न सिर्फ प्रात्म-कल्याण के लिए ही मावश्यक बने बल्कि वह मनुष्य की विकसित होती हुई सामाजिकता के लिए भी मावश्यक हो । सजग सामाजिकता प्रात्म-कल्याण की ज्योति जगाए यही जन-सिद्धान्तो का सन्देश है । जन मन्दिर, शाहदरा, दिल्ली प्रथम प्राषाढ़ कृष्णा २ स. २००७