Book Title: Jain Sahitya me Ganitik Sanketan
Author(s): Mukutbiharilal Agarwal
Publisher: Z_Jain_Divakar_Smruti_Granth_012021.pdf

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Page 4
________________ श्री जैन दिवाकर स्मृति ग्रन्थ Jain Education International · १ को इसका आशय १ करोड़ – १ है । एक करोड़ में से २ घटाने के लिए इस प्रकार भी लिखा है को २ घनलोक में से २ घटाने के लिए इस प्रकार लिखा है ० २ = यहाँ पर संकेत पनलोक के लिए प्रयोग किया गया है। एक लाख में से १ घटाने के लिए इस प्रकार लिखा है' ल १ o 'त्रिलोकसार' में भी घटाने के लिए उपरोक्त चिन्ह मिलता है। उसमें लिखा है कि मूल राशि (जिसमें से घटाना हो) के नीचे बिन्दी लिखो और फिर बिन्दी के नीचे ऋण राशि (घटाई जाने वाली संख्या) लिखो । यथा यदि २०० में से २ घटाने हों तो इस प्रकार लिखते है" तथा ६. अर्थसंदृष्टि, पृष्ठ ६ १० त्रिलोकसार, परिशिष्ट, पृष्ठ २ ११ अर्थसंदृष्टि, पृष्ठ ६ १२ तिलोयपण्णत्ति, भाग १, पृष्ठ २० o चिन्तन के विविध विन्दु ५५२ २०० घटाने के लिए 'अर्थसंदृष्टि' में किया है। जैसे एक लाख में ल ७५ घटाने के लिए संकेत के स्थान पर ऋण शब्द का प्रतीकात्मक प्रथम अक्षर भी प्रयोग किया गया है। प्राचीन साहित्य में ऋण के लिए रिण लिखा जाता था । अतः घटाने के लिए 'रि' और कहीं-कहीं 'रिण' का प्रयोग होता था परन्तु यह अक्षर जिस अ को घटाना होता था, उसके बाद में लिखा जाता था। 'तिलोयपण्णत्ति' में ऐसे उदाहरण अनेक जगह मिलते हैं। यथा संकेतों का प्रयोग भी पं० टोडरमल ने से ५ घटाने के लिए इस प्रकार लिखा है" लु) तथा For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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