Book Title: Jain Sahitya Sanshodhak Samiti 1921
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Karyalay

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Page 109
________________ अंक ४] महावीर निर्वाणनो समय-विचार तरीके जणाय छे. अने बलमित्र-मानुमित्र (बलमित्र हेमचंद्राचार्यनी भूल. वंशनो मानुमित्र ? ) ना ६० गणी समय बराबर कर्यो हेमचंद्राचार्ये प्रद्योतोना जे ६० वर्ष मुकी दीधा छ, छे. आ गणना आपणने महावीर पछी ४१३ वर्ष सुधी ते तेमनी एक म्होटी भल छे अने ते स्पष्ट ज छे. कारण लई आवे छे. ४० वर्षनो बीजो आंकडो नहपाणना है जो आपणे सत्य के जो आपणे शुरुआतना ते । ६० वर्ष मुकी दईए तो, राज्यकाल माटे आप्यो छे.” छेल्ला अंकोमा १३ वर्ष चंद्रगुप्त स्थलभद्र, सुभद्र अने भद्रबाहुनी समकालीन“गर्दभिल्लना राज्यना छे अने ४ शकराज्यना छे. आवी तामां विरोध आवे छे. प्रो० जेकोबीए मध्यकालीन रीते एकंदर संख्या ४७० थाय छे. अहिंआ गाथाओनी हेमचंद्रना आ भांग्यातुट्या अहेवालने पोतानी गणनामां गणना बंध थाय छे. ते प्रथम शकोना पराजयी समाप्ति पाया तरीके लीधो के. अने आम करवामा, पालीपामे छे.१२ विक्रमसंवत् अने आ गणनानो (४७० लेखोमां आपेला अशोकना अभिषेकना भूलभरेला महावीर पछी) परस्पर संबंध मेळववा, जैनो उपर जणा- समयनी अने तेना उपर बांधेली निर्वाणकाल-गणनाना व्या प्रमाणे वच्चे १८ वर्षनो आंतरो मुके छे. तेमना उपर वधारे असर थई छे. गाथा, महावीरना निर्वाणन वर्ष ( १७+५८+ पाल पाली लेखोमां आपेला समय उपर बांधली गणतरीए, ४७०= ) ई० स० पूर्वे ५४५ मुं आपे छे, के जेने र ज लेखोमां लखायली अशोकना अभिषेकनी तारीख जैनो, महावीर पछी ४७० वर्षे, विक्रम जन्म अने तेना अने पूर्वपरंपराथी चालती आवेलो तवारीख वञ्चे लगभग १८ मां वर्षे विक्रमराज्य प्रारंभः एम जणावे के ६० वर्षनो तफावत मुक्यो छे. हेमचंद्राचार्यमी भूलथी महावीर कार्तिक वदी १५ ना दिवसे निर्वाण पाम्या । जैन तवारीखमां पण ६० वर्ष छोटी देवामां आवेला अने विक्रमना कालिकादी संवत्नी शुरुआत थई ते वच्चे होवाथी, आ गणना-एकताए, कालगणना विषे ४७. अने १८ वर्ष पूरेपूर पसार थई गया हता. संकुचित दृष्टि राखना। आधुनिक अभिप्रायने मजबुत हवे आ प्रमाणे चंद्रगुप्तना राज्यारोहण- प्रथम वर्ष, बनाव्या छ. पर बनाव्यो छे. परंतु प्रद्योतनो पुत्र पालक, के जे अजातके जे महावीर पछी २१९ वर्षे आवे छे, ते ई० स० शत्रुनो समकालीन हतो, ते महावीर निर्वाण पछीना दिवसे पूर्वे ३२६ ना नवेंबरना कोईक दिवसनी अने ई० स० अथवा वर्षे गादिये बेठो, ए मानवं स्वाभाविक अने सपूर्वे ३२५ ना आक्टोम्बर-नवेम्बरना अंतनी वच्चे आवे. प्रमाण छे. हेमचंद्राचार्यना कथन प्रमाणे, महावीर-निर्वाण जैनोना अहेवाल प्रमाणेनी आ तारीख, अशोकना पछी तुरत ज नंदवंशनुं राज्य शरू थयु ए मानव॒ तद्दन प्रमाणेनी तवारीख भने ती मीना भूलभरेलुं अने अप्रमाणिक छे. आनी समकालीनता साथे बराबर मळती आवे छे.१५ उपसंहार. उपर जे ऊहापोह करवामां आन्यो छे तेनो सारार्थ ११ 'ब्राह्मण साम्राज्य ' नामना में म्हारा लेखमां नहपाणनी ए निकळे छ के-पुराणोनी गणना प्रमाणे बुद्धना निर्वाणन तारीखमी पर्चा करी छे. [ अने ते समय १३३-९३ B. C.छे] संवत्सर ई. स. पूर्वे ५४४ मुं वर्ष आवे छे. आ तारीखने १२ आ शकोनो पराजय सातकणि बीजाए को हतो...... जैन कालगणना पण पुष्टि आपे छे, अने बौद्धग्रंथ दीपज्योतिषियोनो विकमादित्य ते बीजो शातकर्णि छे अने जैमोनो विक्रम से पुलुमायी छे. वंशनी अंदरथी पण एवी हकीकत मळी आवे छे के जे १३ जैन तवारीखने उज्जैननी तवारीख कही शकाय. ते पालक मा निर्णयनै मजबुत करे छे. अने आ बधा उपरथी ए मा राज्यथा शरू थई नहपाण सुधी आवे छे अने पछी मालव सिट थाय छे के बौधर्मिओनो, तेमना धर्मसंस्थापकना संवतथी प्राईभ थाय छे.. १४ पुणो, अशोकमा मभिक उपर म्हारो लेख. J.A.S.B. निर्वाण-समय माटे वर्तमानमा जे अभिप्राय छे, ते यथार्थ बागस्ट-सप्टेंबर १९१३. सके. बीजो सारार्थ एमिकळे छे, के महावीरना निर्वाण.

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