Book Title: Jain Puratattva evam Kala Author(s): Madhusudan N Desphandey Publisher: Z_Tirthankar_Mahavir_Smruti_Granth_012001.pdf View full book textPage 5
________________ एक अप्रतिम कला आदर्श प्रस्तुत किया। ये गूफा समूह सौराष्ट्र में जूनागढ़ के निकट और भावनगर के भुवनेश्वर नगर के निकट खंडगिरि और उदयगिरि पास तलाजा में जैन गुफा समुह क्षत्रपों के काल में नामक पहाड़ों में स्थित हैं। उदयगिरि पहाड़ पर हाथी उत्कीणित माना जाता है। उपरकोट की गुफा में स्थित नामक गुफा में खारवेल का एक सुप्रसिद्ध शिलालेख है, स्तम्भ शीर्ष विशेष रूप से उल्लेखनीय है । जिसका प्रारम्भ ही “नमो अरिहंताणं नमो सबसिधान" अर्थात् अर्हत् और सिद्ध के नमस्कार से ही हुआ है। महाराष्ट्र में सहयाद्रि पर्वत माला पर ईसा पूर्व खारवेल की अग्रमहिषी ने स्वप्नपुरी के लेख में लिखा दूसरी शताब्दी से लेकर 6वीं और 7वीं शताब्दियों है-"अरहंत पसादाय कलिंगन समनानं लेणसिरि तक के शैल मन्दिर पाये जाते हैं । जिसमें अजन्ता, खारवेलस अगम महिसिन कारियाम'। उदयगिरि स्थित एलौरा कारला, भाजा, पितरखोरा, एलीफैन्टा आदि राणी गुम्फा और गणेश गुम्फा नाम से सुविख्यात दुमंजिले बौद्ध और हिंदू, गुफाएं सुविख्यात हैं। हाल ही में शिलागृहों में सुन्दर शिल्पपट उत्कीर्ण किये गये हैं। पूना के पास कारला और भाजा बौद्ध गुफाओं के पास इनका विषय पार्श्वनाथ के जीवन से सम्बद्ध प्रसंगों से पालेगाँव की एक गुफा में ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी का होगा, ऐसा कई विद्वानों का मत है। ये सुन्दर शिलापट शिलालेख मिला है। “नमो अरहंताणं' से यह लेख शैली की दृष्टि से भाजा और भरहुत शिल्पकला के आरम्भ किया गया है । यह प्राचीन गुफा जैन साधुओं समान दिखाई देते हैं। खंडगिरि गुफा समूह में आठवीं के निवास के लिए सातवाहन राजाओं के वर्चस्व काल और नवमीं शताब्दी में उत्कीर्ण कई जिन-प्रतिमाएँ में बनाई गई होगी, ऐसी सम्भावना है। उपलब्ध हुई हैं। पालेगांव (पूना) की गुफा में प्राप्त नवीन शिलालेख १५६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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