Book Title: Jain Puratattva evam Kala
Author(s): Madhusudan N Desphandey
Publisher: Z_Tirthankar_Mahavir_Smruti_Granth_012001.pdf

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ ओसिया नाम के ग्राम में एक प्रेक्षणीय महावीर मन्दिर को अधिक प्रभावित करती हैं / मध्ययुगीन जैन धर्म है। इस मन्दिर के स्तम्भों की नक्काशी बहुत सुन्दर शिल्पकला का सर्वोत्कृष्ट नमूना मानने योग्य राजस्थान है यह मन्दिर गुर्जर प्रतिहार नरेश वत्सराज (770- के पल्लू ग्राम से प्राप्त सरस्वती की मूर्ति है जो दिल्ली 840) के समय का है परन्तु इसका सभा मंडल 10 के राष्ट्रीय संग्रहालय में संग्रहीत है। यह मूर्ति भारतीय वीं शताब्दी में सन् 926 का है। जैसलमेर में 15 वीं कला को प्रदान की गई अमोल भेंट है। यथायोग्य रूप, शताब्दी के जैन मन्दिर हैं। जब भारत वर्ष के उत्तरी भेद प्रमाण बद्धता और लावण्य का सुयोग्य मिश्रण प्रदेशों में मन्दिर स्थापत्य निर्माण समाप्त हो गया था इस मूर्ति में दिखाई देता है। तब यहाँ एक कलात्मक जैन मन्दिर समह का निर्माण हुआ। जैन कला सम्पदा का मैंने विहंगमावलोकन ही किया है इनके अतिरिक्त अनेक वस्तु और वास्तु हैं / गुफाओं और शैल मन्दिरों की निमिति में लगभग जिनका मैंने उल्लेख ही नहीं किया / इन चीजों का अंतिम प्रयोग ग्वालियर के दुर्ग के परिसर में हआ। अध्ययन विद्या प्रेमी विद्वानों को करना चाहिए / मेरी यहाँ की गुफा में उत्कीर्ण विशाल जिन प्रतिमाएं तोमर आशा है कि 2500 वां भगवान महावीर निर्वाण राजा डूंगर सिंह और कीति सिंह के जमाने में बनाई महोत्सव के निमित्त से इस सुन्दर विषय की अनेक गई / इन प्रतिमाओं के सौन्दर्य से उनकी भव्यता दर्शकों छटाऐं प्रकाश में आयगी। 167 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13