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॥ पद्मप्रभु॥ कटुककर्मविपापविनाशक! सकलपुद्गलसंगविवनित! परमशीत लभावयुत! स्वयंभु!! आ मायिक मा म.लामा फसेला अमने मुक्त करवा तारा विना बिजो को ण समर्थछे? जेओ पातेज आ संसार संबंधी मायामां फसइ जइ, मगाक्षीओना दास थइ रहेलाछे, जेओने जोतांन भीति उत्पन्न थायछे, ते ओनो आश्रय करी शी आशा राखवी? शीलानो आश्रय करी समुद्र तरवा गी आशा राखवायी शो नफो? शीला पण डबे अने आपणने पण साथे डुबाडे. जे पोतेज संसारमा डुबी गया छे तेओ बीजार्नु शु लीलं वाळी शके!! ___ जेना हाथगां नथी त्रिशुल के नथी चाप नथी च क्र के नथी काइ; जे प्रभुने हास्य नयी के नृत्य नथी के गीत पण नथो नेना नेत्रोमां, गात्रमा के करमा विकार