Book Title: Jain Panchang 1916
Author(s): Chandrasen Jain Vaidya
Publisher: Chandrashram

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Page 16
________________ शरीर रुष्टपुष्ट होकर मन में प्रसन्नता रहती है । की ३० रोज के वास्ते १) डां० ख०) चूर्ण हाजमा दस्तावर । चार मासे शामको खालेने से सवेरे दस्त खुलकर होता है शरीर हलका हो जाता है और भूख खुलकर लगती है। की 1) डिब्बा डां।) अमृतवल्ली कषाय । (अर्थात दवा खून खराब की) इससे खून खराबी से उत्पन्न हुए शरीर में घाव लाल काले चकते सुई सी छिदना देहका रंग बिगड़ना और आतश आदि से बिगड़े हुए खून को शुद्धकर शरीर को कान्तिमान् बना देता है । कुष्ठ और खुजली को भी दूर करता है। यह अमृत के समान गुणदायक खदेशी सालसा है. फी डिब्बा १) डॉ०) ___ दवा बालकों के ज्वर खांसीकी । . इससे बालकों के ज्वर खांसी आदि रोग फौरन दूर होते हैं । यह बालकों के लिये सैंकड़ो वार को आजमूदा रामबाण सम लाभदायक हुक्मी दवा है। फी शी० 1) डॉ० अ० खुजली नाशक तेल । इस तेलके लगाने से खाज और खुजली आदि चमड़ी के रोग फौरन दूर होते हैं। फी शीशी ।). नई ईजाद ! नई ईजाद !!! बाल उड़ाने का साबुन । इस साबुन को बालों पर लगाने से वगैर तकलीफ के दो तीन मीन ट में बाल साफ उड़कर चमड़ी साफ चिकनी और कोमल होजाती है । की० फो टिकिया का वक्स ।) तीन टिकिया ॥ छः टिकिया ११) बारह टि० २॥) . भोजन सुधार । यह एक अनोखी ही वस्तु है । स्वाद का स्वाद है दवा की दवा है। दाल साग आदि में डालकर खाने से बड़ी ही लज्जत आती है और भोजन स्वादिष्ट होजाता है । चूर्णकी तरह खाने से पेट की तमाम बीमारियां दूर होती हैं। यहो पानीमें डालकर खाने से चटनी का काम देता है । परदेश में बड़े काम की चीज है । को० फी डिब्बा ।) तीन डिब्बा ॥

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