Book Title: Jain Panchang 1916
Author(s): Chandrasen Jain Vaidya
Publisher: Chandrashram

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Page 19
________________ दाद का मरहम । यों तो बाजार में दाद की दवाइयां कई तरह की हैं पर उन में किसी न किसी तरहका नुक्स जरूर पाया जाता है, परन्तु हमारी इस दवा से किसी तरह की तकलीफ नहीं होती और न बूरी बू आती है तथा दाद के दादा को तगादा कर भगाती है । की डि01) पवित्र असली २० वर्षका आजमूदा सैकडों प्रशंसापत्र प्राप्त. नमक सुलेमानी। फायदा न करे तो दाम वापस. ये हैजा बदहजमी पेचिश शूल वायु रोग पेटका दर्द बरबट में रामबाण सम है, गठिया बात खांसी दमा नामदी व स्त्रियों के मासिकधर्म की खराबी में जादू का असर देता है जिगर व पेट की सब खराबीयों को दूर करके पाचनशक्तिको बढाता है । दाम फी शीशी ।।) डा० ख०) तीन शीश) डा ) छः शी० २) डा० ॥) बारह शी० ५) डाकखर्च ) नयनामृत सुरमा । इसके लगाने से आंखों का जाला धुन्ध फुली नेत्रों से पानोका बहना नजले का उतरना आंखों की सुखीं परवर आदि नेत्रों के सर्व रोग दूर हो जाते हैं और चस्मे का लगाना छुट जाता है और बुढापे तक नेत्रोंकी ज्योति कम नहीं होतो और रोज लगाने से आंखों में ठण्डक रहती तथा पढते पढते आंखें नहीं पकती है की० फो शीशी १) डा० अ० ।। असली अर्क कपूर । इस मशहर दवा की अधिक प्रशंसा करना व्यर्थ है क्योंकि सर्व साधारण पर वर्षों से यह असली अर्क कपूर हैजा और संग्रहणों के लिये अत्यन्त मुफीदा और परमोत्तम गुणकारी हजारों वार क्या लाखों वार प्रतीत हो चुका है मंगाइये कीमत फी शीशी ।) आना

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