Book Title: Jain Nyaya ka Vikas
Author(s): Nathmalmuni
Publisher: Nathmal Muni

View full book text
Previous | Next

Page 187
________________ । 171 ) शब्दालगज शब्दात्मक हेतु से होने वाला ज्ञान । अलिगज अर्थात्मक हेतु से होने वाला ज्ञान, जैसे धूम से होने वाला अग्नि का ज्ञान । सौत्रान्तिक वौद्ध दर्शन के चार सप्रदायो मे एक। ये बाह्यानुमेय वादी है। स्फोट शब्द का उपादान कारण। स्मृति -~-सस्कार के जागरण से होने वाला 'वह' इस प्रकार का वोध । तिऽन्त प्रतिरूपक निपात । इसके अनेकान्त, विधि, विचार, श्रादि अनेक अर्थ होते है। 'स्याद्वाद' मे प्रयुक्त 'स्यात्' शब्द का अर्थ है अनेकान्त । स्थाद्वाद देखें पाचवा प्रकरण। स्वलक्षण वस्तु का क्षणवर्ती होना। स्व-सवेदन प्रत्यक्ष बौद्ध-सम्मत प्रत्यक्ष का एक भेद । स्व-समय वक्तव्यता अपने मत का सिद्धान्त । हीनयान बौद्ध धर्म की एक शाखा । देख-प्रकरण सातवा । स्यात्

Loading...

Page Navigation
1 ... 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195