Book Title: Jain Nitishastra Ek Parishilan
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 10
________________ हमें प्रसन्नता है कि उपाचार्य श्रीजी ने लगभग १२ वर्ष तक प्रस्तुत विषय का अनुशीलन करके बहत ही प्रामाणिक सामग्री से युक्त सर्वथा मौलिक पुस्तक तैयार कर एक अभाव की शानदार पूर्ति की है। उपाचार्य श्रीजी के इस महनीय लेखनकार्य में समाज के प्रसिद्ध साहित्यसेवी श्रीचन्दजी सुराना तथा श्री बृजमोहनजी जैन ने पूर्ण समर्पित भाव से सहयोग किया है, हम उनके इस सहकार्य के प्रति आभारी हैं । ___ आशा है यह अभिनव कृति विश्वविद्यालयों के छात्रों व अध्यापकों के लिए विशेष उपयोगी सिद्ध होगी। मन्त्री श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय उदयपुर ( ८ ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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