Book Title: Jain Lakshanavali Part 3
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 552
________________ जैन लक्षणावली : इस ग्रन्थ के संयोजक स्व० श्राचार्य जुगलकिशोर जी मुख्तार सन् १९३८ में किये गये संकल्प के फल स्वरूप प्राज ४० वर्ष पाठकों के सम्मुख है । तस्व-जिज्ञासुनों और अनुसन्धान करने वालों के मुख्तार साहब को एक बहुत उपयुक्त स्मारिका है । Jain Education International दिगम्बर व श्वेताम्बर सभी जैन सम्प्रदायों के ४०० से अधिक प्राकृत व संस्कृत ग्रन्थों का अध्ययन करके इस प्रामाणिक पारिभाषिक शब्दकोश की रचना उस महान् ब्लक्तित्व की लगन और निष्ठा का ही फल है, जिसके बिना इस अभीष्ट लक्ष्य का पूर्ण होना शक्य था । पश्चात् यह ग्रन्थ पूर्ण होकर लिए यह अनमोल निधि स्व० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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