Book Title: Jain Kavyaprakash Part 01
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
૨૦ ว
७२ मैनधर्म पासोरे प्राणी० 3 नैनधर्म नहीं डीनाहीनर. ७४ लगेसोनिलम्त उहावे.
३८८||१०१ नेएांहोग्नेहीस्वलाच परा है ३८८१ ४०० १०२ नहिंजेसोजन्य पारंवार ४०.४ ४११
१०३ नैनांसरस लई तिनहरि० ४०९
७५ टूड हिसडी यस्म जोस.
४०७
૪
७५ तुरंगमांहे टीवी ही प्रलुल
१०७
१०५ पंथमीतपतुमें उशेरेप्राएगी. १२५
७७ नुन जिना जोरनन्नयुं.
३१८
१०५ पाएगीमें मीन प्यासीरे
२१८
૩૧૬
७८ तने हसी हसी ने सभन्नपुंरे- ३२९ १०७ पवनडोडरे तोस. ७५ तेरोशन पारपायोडोर्घनहींरे. ३२७ १०८ पश्मगुरे नैन उहो ङिभ होये 3917 ३४१||१०७ प्यारे तेरे भुजङमलडीशोला ३२७३५८ ११० प्रीत पेयारे साडी मेरे ०
तें प्रलुभेरा में तेरा ·
१ तुही निरंजन तुंडी निरंजन० ८२ तुमनिनंदनगतपतिनाय -3 तेरे हरिशन डालें अनें
C
|
१०४ नपारे नगरमा लेटीयें.
३७२ १११ पंचपरमेसरा परम जसके० ३३४ ३७८ ११२ प्रएाभुं निनहेवसहारा० १९९ - तेरानाहुम्जीतान्माराजे ३८७ ११७ मातलयोस्मर हेच पुण्य० ३९७ ८५ तेसजन हग जायारी० ३८८ ११४ प्रातलयो लग प्यारे.
३७१
Ja Educationa International
८५ तेरेड़ी हरजार जजतोडुंना. 3 तुमारे हर्श हेजती हुरज <८ तेरे घटभेंड़े सवाह.
८७
114 प्रलुतेरी रूप जन्योराछोनी० ४०० ४०५ ११५ रसे निनशन जानन० 300 ४०८ ११७ जंहा ज्युलूसे श्रीनिन, 300 धें पीयाकभत पालो याने० ३१५ ११८ जहरी सगाहे ज्ञानी जहरी。 303 ७० घारी डीपहेशभाने रूडी सागे. ४०५ ११७१ जिसरभत नाम निहालडी. ७० ८ ७१ हेजोरी निनंदा प्यारा. ७०४ १२० जेरजेरनहींभावेश्वसर. 323 ७२ घ्वान्न छोटारे निम्स्या० ३१५ १२१ जन्यो हमारे या घडीमें रंग. 360 13 दु:जहानीरे यारो दु:जहानी- ३२५ १२२ लसें भुजहेज्यो श्रीनिनतेये ३७७ ४. दुनियां भतसजमीगरल ७२८ १२७ भूरत मोहनणारी निनंदघ० २७८ ५ हेहरेनपुं हिलमां घरतां. ३४८ १२४ महोटी बहूश्नें मनणभतुं डीधुं २७ २ ७६ नानीबहूने पर घर रमपाठ २७२ १२५ मेंती तोरी जान हीं महीमा ३०७ ७७ निरंजन सांध्यांरे सांभेरा २७७ १२५ मेरी जरन सुनी पण डायरे. ३३८ ७८ नाहान पीयाल हो जासुडी. ३२३ १२७ मेरोभनजसडीयोरेनिजं ४३ ७ निरंग्नयारपोरे तो. ३२७ ||१२८ मनमांसावन्नेरेनाथ. 349 १० नित्यमतें नामनपन्गतना• ३४२ १२७ मनरेतुं छोडमामान्नस . 34
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 ... 504