Book Title: Jain Katha Sangraha Part 06
Author(s): Kalyanbodhivijay,
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
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श्रीजैन कथासंग्रहः
॥ अहंम् ॥ श्रीशंखेश्वर पार्श्वनाथाय नमः। श्री प्रेम-भुवनभानु-पय-हेमचंद्रसद्गुरुभ्यो नमः । ॥अथश्री माणिक्यसुन्दरसूरिविरचिता ॥
॥श्री अतिथिसंविभागवते॥
धर्मदत्तश्रेष्ठि कथा
॥१॥
॥चंद्रधवलभूपधर्मदत्तश्रेष्ठि कथा॥ आरोग्यं सौभाग्य, धनाढ्यता नायकत्वमानन्दः । कृतपुण्यस्य स्यादिह, सदा जयो वाञ्छितावाप्तिः ॥ १॥ चतुष्पवर्वी कथा प्रोक्ता, पौषधव्रतहेतवे । संविभागव्रतस्याथ, रुचिरा प्रोच्यते कथा॥२॥
चन्द्रधवलभूपधर्मदत्तश्रेष्ठिनो: कथा ज्ञेया।
॥शा

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