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घर में दीपावली पूजन की विधि सायंकाल लगभग 4 बजे पूजन के शुद्ध वस्त्र धारण कर के शुद्ध प्रासुक जल से पूजन की जल फलादि द्रव्य तैयार करें। मंगलाष्टक पढकर सकलीकरण, तिलक एवं रक्षा सूत्र बन्धन करें। रक्षा मंत्र एवं शांति मंत्र पढते हुए पुष्प क्षेपण करें (इसके सभी पूजन पाठ की पुस्तक में है) . गाय का घी मिलाकर सिंदूर से पूजन स्थल की दीवाल पर इस प्रकार लिखें
श्री
ॐ श्री वीतरागाय नमः
श्री महावीराय नमः श्री गौतम गणधराय नमः श्री केवलज्ञान महालक्ष्म्यै नमः
श्री शुभ
श्री लाभ
श्री
श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री
फोटो
दक्षिण दिशा
जिनवाणी
उत्तर दिशा
श्री कार पर्वत के नीचे दीवाल से सटाकर एक अच्छी चौकी रखें उस पर बीचों बीच किसी क्षेत्र या जिनालय में स्थित प्रतिष्ठित प्रतिमा की फोटो रखें उसी के सामने आचार्य प्रणीत ग्रंथ चौकी पर बीचों बीच स्थापित करें। ईशान कोण की
ओर हल्दी, सुपाडी, सवा रुपये या अधिक 3,5,7 आदि रुपये के सिक्के डालकर पूरा सरसों से भर कर श्रीफल सहित कलश स्थापित करें। आग्नेय दिशा में शुद्ध घी का जलता दीपक स्थापित करें।
यह क्रिया पूर्ण करने के उपरांत श्रद्धा भक्ति के साथ विनय पाठ, पूजन पीठिका, स्वस्ति पाठ, देवशास्त्र गुरु, चौबीसी, आदिनाथ, पार्श्वनाथ एवं महावीर स्वामी एवं सरस्वती का अर्घ चढाकर गौतम स्वामी की पूजा करें। चौंसठ ऋद्धि के मंत्र बोलते हुए अर्घ्य चढायें। और फिर शांति विसर्जन कर के 16 दीपों में तेल भर कर 4-4 बाती डालकर चौंसठ ज्योति जलायें, तदुपरांत सामूहिक महावीराष्टक पाठ, आरती करें और "'ओं ही चतुः षष्टि ऋद्धिभ्यो नमः' इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
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