Book Title: Jain Dharmni Vaigyanik Aadharshila
Author(s): Kanti V Maradia
Publisher: L D Institute of Indology

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Page 166
________________ ૧૪૯ संदर्भ ग्रंथ सूची ११. नियमसार; कुंदकुंद, अंग्रेजी अनु. उग्रसेन जैन, सेंट्रल जैन पब्लिशिंग हाउस, लखनउ, १९३१. १२. पंचास्तिकाय-सार; कुंदकुंद, संस्कृत और अंग्रेजी अनुवाद ए. चकवर्ती और ए.एन.उपाध्ये, भारतीय ज्ञानपीठ दिल्ली १९७५. १३. प्रवचनसार; कुंदकुंद का प्राकृत ग्रंथ (अमृतचंद की तत्त्वदीपिका, जयसेन की तात्पर्यवृत्ति और हेमराज पांडे की बालावबोध भाषा टीका के साथ), (संपा) ए.एन.उपाध्ये, राजेन्द्र जैन शास्त्रमाला, अगास, १९९३. १४. समणसुत्तं; सर्व सेवा संघ, वाराणसी, १९९३. १५. समयसार; कुंदकुंद का प्राकृत ग्रंथ (अमृतचंद्र की आत्मख्याति टीका के साथ), मूल ग्रंथ और अंग्रेजी अनुवाद : ए.चकवर्ती, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, द्वितीय संस्करण, १९७१. १६. योगशास्त्र; हेमचंद्र, हिन्दी अनुवाद के साथ मूल संस्कृत ग्रंथ अनु. मुनि पद्मविजय, श्री निग्रंथ साहित्य प्रकाशन संघ, दिल्ली, १९७५. १७. विशेषावश्यक भाष्य; जिनभद्रगणि : संपादक नथमल टाटिया; रिसर्च इस्टीट्यूट ऑफ प्राकृत, जैनोलोजी एण्ड अहिंसा, वैशाली, १९७२. १८. विश्वप्रहेलिका; महेन्द्र मुनि, जवेरी प्रकाशन, इंदौर, १९६९ १९. कषाय; साध्वी हेमप्रज्ञा, विचक्षण प्रकाशन, इंदौर, १९९९. २०. ग्यारह प्रतिमायें; महात्मा भगवानदीन, प्रबुद्ध जैन विचार मंच, कलकत्ता-७, २०००. २१. मेरी भावना; जुगल किशोर मुख्तार जैन साहित्य सदन, नई दिल्ली, १९८२. २२. तीर्थंकर वर्धमान; मुनि विद्यानंद, वीर निर्वाण ग्रंथ प्रकाशन समिति, इंदौर, १९७३.

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