Book Title: Jain Dharma ke Sadhna Sutra
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 8
________________ को नाना रूपों में प्रस्तुत कर अध्यात्म जगत् की बहुत बड़ी सेवा की है। प्रस्तुत ग्रन्थ में उसका विहंगावलोकन मात्र है | सरदारशहर प्रवास में पूज्य गुरुदेव की सन्निधि में आवश्यक और नमस्कार महामंत्र पर कुछ कहा गया । उसका संग्रह इस पुस्तक में उपलब्ध है | पूज्य गुरुदेव की प्रेरणा मेरे अंतस् को प्रेरित करती है | उसकी स्फुरणा शब्द और अर्थ में बदलकर दूसरों के लिए उपयोगी बन जाती है । प्रस्तुत पुस्तक के संपादन में मुनि धनंजय कुमार ने निष्ठापूर्वक श्रम किया है । आचार्य महाप्रज्ञ अध्यात्म-साधना-केन्द्र नई दिल्ली २६ जनवरी १९९५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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