Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 3 Author(s): Hastimal Maharaj Publisher: Jain Itihas Samiti JaipurPage 11
________________ .. ५३८ .. ५३९ ५४१ ५५५ ५६४ एवं महान् ग्रन्थकार आ. हरिभद्र सूरि कुलगुरुओं के सम्बन्ध में मर्यादा का निर्धारण । आचार्य अकलंक भ. महावीर के ३४वें और ३५वें पट्टधर हरिषेण एवं जयषेण के आ. काल के प्रमुख ग्रन्थकार यापनीय परम्परा के आ. अपराजित सूरि (विजयाचार्य) ३५वें से ३८वें पट्टधर तथा युग प्र. आ. पुष्यमित्र के समय की राजनैतिक घटनाए जैन संघ पर दूसरा देशव्यापी संकट शंकराचार्य शंकराचार्य का समय श्रमण भ. महावीर के ३९ पट्टधर आचार्य श्री किशन ऋषि श्रमण भ. महावीर के ४०वें पट्टधर आचार्य श्री राजऋषि ३३वें युगप्रधानाचार्य श्री सम्भूति चैत्यवासी आ. शीलगुण सूरि और चैत्यवासी परम्परा का प्रबल समर्थक जैन राजा वनराज चावड़ा बप्प भट्टी सूरि राज-संसर्ग का दुष्परिणाम दिगम्बर सम्प्रदाय में काष्ठा संघ की उत्पत्ति यशोवर्म-कन्नोज का महाराजा ३३वें युग प्र. आ. संभूति के समय की राजनैतिक स्थिति (बादामी का चालुक्य राजवंश) राष्ट्रकूट राजा दन्ति दुर्ग ५६७ ५६८ ... ५६९ ५७२ ५८४ ६०९ ६१७ (vii) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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