Book Title: Jain Dharma Darshan Jain History Series 11
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: 108 jain Tirth Darshan Trust

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Page 443
________________ पटाकर दिनाना का दि देवाक ना कार्ययामः कमा ०१ः॥निनः सिदि विमनविस्वासनाव किनकी नानामिवाश्रममालिनामा मिय मिस न विकसन्याश्रमामा नाि ज्यागाम निकाशा चाकणला मरा मिनोतर नयानिशया ज्ञानब कामे सामान मायुदला दिवा सेल्सिअसपाला नम वापस मायश्रम यारानासम दाशिवम लिखित किमिव पालि का सावनीनवादमाथि भा नानामयानामिति याठिका नीमकायानिनिम्माय गिनिजालय lain-hatcation Intinational For Privala मा फलवामान माना के सम्मान रेजिनानिकावन सवा विमा नमामिकमा जानक वाचनसम भिपदति कामिडियायनन मकोयशिशिर मावायमधिया ।इनि नामासाही गमाव ल मिनारत्र ४यणामिवून दिनमान मायामपिगतधमा ६० पिमासावानाजतिमात कापापिति C इयेनासामणवाद्या कलादाल गगनादमेद लालविरु मायनाश्रनायमाशिव लिपिनिगड मापिनान्यष्यसि वनिनावमा मानवाकागुता वामानविषययाम mना कमाना दिस

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