Book Title: Jain Dharm se Anuprerit Shasak Author(s): Indrakumar Kathotiya Publisher: Z_Jain_Vidyalay_Granth_012030.pdf View full book textPage 7
________________ 10. . जय सिंह सिद्धराज की प्राप्य ताम, रजन एवं स्वर्ण सिक्कों की निखात श्री म (द) (ज) य सिंह प्रिय जय सिं ह प्रि (य) श्री मद (ज) य सि (ह) प्रिय (ज) य सि (ह) प्रिय XX (ज) य सि (ह) प्रिय XX (श्री) मद x सिंह (प्रिय) (ज) य सिंह . प्रिय श्री म (द्) (ज) य सिंह प्रिय श्री म (द) जय सि (ह) प्रिय श्रीमद (ज) य सिंह xx श्री म (द) जय सि (ह) प्रिय 15. श्री म (द) जय सिं XX श्री म (द) जय सि (ह) प्रिय (श्री मद ज) य सिंह प्रिय श्री मद (ज) य सिंह XX श्री म (द) जय सिं (ह) श्री म (द) जय सि () XXX प्रिय xx जय सिं (ह) प्रिय विद्वत खण्ड/५६ शिक्षा-एक यशस्वी दशक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 5 6 7