Book Title: Jain Dharm aur Darshan Author(s): Pramansagar Publisher: Shiksha Bharti View full book textPage 2
________________ प्रस्तुत चित्र में 'भी' के माध्यम से विभिन्न यों का समन्वय दर्शाया गया है। चित्र के निचले । में होठों के माध्यम से निकलती विभिन्न ध्वनि गों के द्वारा स्यावाद को चित्रित किया गया है। कांत जैन दर्शन का हृदय है, स्याद्वाद उसकी भव्यक्ति की पद्धति।Page Navigation
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