Book Title: Jain Dharm Prakash 1893 Pustak 009 Ank 10
Author(s): Jain Dharm Prasarak Sabha
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir શ્રી જૈન ધર્મ પ્રકાશ. मो श्री समवसरण में बैठके देशना देते हुये मर्वश भगानकी नक लाह ले कर कहने में यह बात विद हो गइ. उप बाद ममवर रणजीके तिन पाम विलोर तथा चिनाइ तथा कारक सनि गवाले प्याले तथा सीमीयां विगेरे अनेक वीण नाना प्रक र हाल संघ का गो मगनमा रोपनीमा का दीप पहीली. आगे अपट दिन का अनाद मोजलागि ना तथा Hyii भीती वना गाना काकी बनली. ग. ना विशेष हे के शरद पुनमके रोग पुनमचंदगी साणारा तरफमें विजयानंद सरीवर जो के श्री आत्माराम बी लारानके नामा मसिधहे उनकी बनाइ हाइ नव पदनी महाराज की पूजा सुखद लाइसें पढाइ गइ. कारण के उस दीन आंधीलकी जोली सं. पूर्णता पास होनी है. और नापत्री महाशाजकी यापमान रने का पर्व है. इस वास्ते नवपदजी का मंडलो प्रयास पदकी स्थापना गमो योनिस रनि गभी बाकी के नाम - योमरल तथा मोना सपा कुल ग्यापन करायमा समाएरण की ना देखने का पाना IIT मा. is गोमा ! बांगग प्रपुष अनेक लोकके टोलेमी दाल हल / / नाहि नाहि किंतु इंटर श्रावकोने आपना . नगा। घांधी इंदणीने रामनगरपाजी पास गंड मटके महीन गुगा है. नया जलयात्राका नरपाडापभि जी का गाना यंजनी पालयीने पीछे चली आइथी. यह जामा सार मताव बाद पारमादिकानि नांद के नाममावत नियागा मजाधारक नभामागासाको अपनी गागर कलाको गुनी नकामगाराम : For Private And Personal Use Only

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