Book Title: Jain Dharm Prakash 1893 Pustak 009 Ank 10
Author(s): Jain Dharm Prasarak Sabha
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir વર્તમાન સમાચાર, આ સૂચના સાથે જાત્રાળુના રખેપાની ટીપ ન થઈ હોય તે ગામવાળાએ કરવા અને અધુરી હોય તે પરી કરવા તેમજ થયેલ રૂપીઆ શેઠ આણંદજી કલ્યાણજીને માફલાવવા સૂચવીએ છીએ. જીવ દયાનો લાગો ઉધરાવી મોકલવા સંબંધી પણ યાદ આપવા ચુકતા નથી. વત્તમાન સમાચાર, श्री वीकानेरमा महोच्छव. "मारवाडमें कल्पवृक्ष सो इसका नाम विदित होके श्री वीकानेरमें भांडासाहके नाम में विख्यात श्री सुमतिनाथजीका मंदिरमें श्री संघ तरफसे आगेवान होकर पुनमचंदजी साणमुखाने श्री समवसरणनीकी रचना करवाइ उ. सका लेगमात्र हाल निम्र स्थानपर जाहेर करता हूं. प्रथम चित्र विचित्र वेदिकाके उपर तिन घह तथा पिठिकाकी रचना शास्त्रो. क्त समवसरणकी नकलपर काच जाडत सुशोभित बनीधी भोर पिठिकाके उपर चैस वृक्ष की रचना ऐसीथी के मानसाक्षात् निल रत्नमय पत्रादिककि आभायुक्त फल फुलसें फुल्या हुवा कल्पक्षकी तुल्यना कर रही थी इस्में देखनेवाले कुं ऐसा आनंद आता था के मान “मारवाडमें कल्पवृक्ष का उदय हुवा." उनी दुखत के निचे मुशोभित परपदाके रूप तथा मृगेंद्रासन सहित श्री वीर प्रभुजीकी पापाणमय पंचपरमेष्टि मुनि घणीन शांताकार आमो मु. दि १३ क गंज वरघोडा चहायके ठाटमें पूर्व दिशा मन्य ग्व विराज मान करने में आइ नेमेही निन दिशा निन पूति पधराइ गइ. नव ना मी शोभा दिप पडि के अन्य दर्शनी जो चर्नु मुम्ब ब्रह्मा कहते हैं For Private And Personal Use Only

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