Book Title: Jain Darshan me Tattva Mimansa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 110
________________ कर्मवाद अथबा अतीन्द्रिय ज्ञान क्या है ? इस पर विवेचन कीजिए । ८. प्राणी पर बाहरी निमित्तों के प्रभाव के विषय में जैन दृष्टिकोण क्या है ? इस पर निमित्तों के प्रकार बताकर अपने विचार प्रकट करें । १०१ ९. प्राणियों के उत्पत्ति-स्थान व कुल की संख्या का वर्णन करो । १०. कर्मों के उदय से क्या होता है ? प्रत्येक कर्म व उसके उदय से होने वाले प्रभाव का विस्तार सहित उल्लेख करो । वर्ष १६६२-६३ के प्रश्न पत्र १. विश्व स्थिति के मूल सूत्र (आधारभूत तथ्य ) क्या हैं ? २. जीव किन उदीर्ण या अनुदीर्ण कर्म - पुद्गलों की उदीरणा करता है और क्यों ? ३. बंध का हेतु कौन है और बंध कैसे होता है ? ४. जैन दृष्टि से आत्मा का स्वरूप क्या है ? विस्तार से समझाइये | ५. सजीव और निर्जीव पदार्थों का पृथक्करण किस प्रकार किया जा सकता है ? ६. जीव के कितने भेद हैं और उनका आधार क्या है ? ७. स्थूल शरीर व सूक्ष्म शरीर के बीच क्या अन्तर है व उनका क्या प्रभाव है ? ८. 'क्रम विकासवाद' के मूल सूत्र क्या हैं ? आप इससे कितने सहमत - असहमत हैं ? व क्यों ? ९. “साधारण वनस्पति का जीवन संघ-बद्ध होता है"- इस पर लघु निबंध लिखिए । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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