Book Title: Jain Darshan ki Ruprekha
Author(s): S Gopalan, Gunakar Mule
Publisher: Waili Eastern Ltd Delhi

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Page 187
________________ व्यंजनावह 54 शब्द 47 शब्दनयभास 134 शाह सी० जे० 4,11,12 शीलवत 19 शंकर 114,115 श्रमणोपासक 19 श्रावक 19,30,162 श्रावक धर्म 162 श्रीनिवासचारी पी. एन. 116 श्रुत 45,55,59-63,65,85 श्वेताम्बर 18,20-25,27 श्वेरवात्स्की थियोडोर 114,128 सचेतनता 104 सत्कार्यवाद 115 सत्ता 84,109-112 सत्तामात्र 49,82 सत्य 145,148 सप्तभंगीनय 137 समिति 162 सम्यक् चारित 161,166 सम्यक् ज्ञान 156,161,166 सम्यक् दर्शन 156,161 सम्यक् श्रुत 60 सर्वश6,92 संग्रहभास 133 सघ 18,21,22,25 संघ-सम्मेलन प्रथम 28 संशा 85 संज्ञाक्षर 60 संझिन् 59 संज्वलन 89 संन्यास 9.162 संन्यास धर्म संबुद्ध 6 संभव 44 संबर 155,158,159,161 संवेग 86-89,188 संवेदन 82-84,87,88,100 संवेदना 84 संशय 56 संसार 29,35,155,157 संसार-त्याग 31 साधु 163,171 सावता 31 साधुवृत्ति 31 साध्य 68,72 सापेक्षिक आध्यात्मिक विशुद्धि सांस्य 36,77,113,115,130 सिकंदर 13,21 सिद्ध 158,162,164,165 सिद्धान्त 26 सुगत 6 सुधर्म 17,28 सुधर्मन् 17,28 सुष्टि 38,39 सोगानी के. सी. 90,158,160, 164 स्कन्ध 127,128 स्टीवेन्सन 15 स्टीवेन्सन सिक्लेयर 122,146 श्रीमती स्थानकवास 25 स्थल भद्र 22,24,26 स्मृति 85,100 स्याद्वाद 138,137,140 स्वभाव 37

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