Book Title: Jain Darshan Bhavna Part 02
Author(s): Punyasheelashreeji
Publisher: Sanskrit Pragat Adhyayan Kendra

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Page 358
________________ निजात पद्मनन्दि पंचविंशति - संपा. पं. बालचन्द्रजी सिद्धांत शास्त्री प्रका. - श्री लालचन्द्र __ हिराचन्द्र, जैन संस्कृति रक्षक संघ सोलापूर इ. स. १९७७. परमात्म प्रकाश - (योग सार) - योगीन्दुदेव प्रका. - श्री परमश्रुत प्रभावक श्रीमदाजचन्द्र जैन शास्त्रमाला, श्रीमद् राजचन्द्राश्रम आगास, संपा. उपाध्यायोपाहब नेमिनाथ तनय आदिनाथ वि. सं. २११७. पंचरत्न राशि - संपा. श्री कल्याणराषिजी म. प्रका. - श्री. अमोलक जैन ज्ञानालय ___ कल्याण स्वामी रोड धुलिया महाराष्ट्र इ. स. १९८०. पंचास्तिकाय संग्रह - ले. कुन्दकुन्दाचार्य, श्री कुन्दकुन्द कहान दिगम्बर जैन तीर्थसुरक्षा टूस्ट ए - ४ जयपुर ३०२०१५ चतुर्थ आवृत्ति इ. स. १९८४. पञ्चाध्यायी सुबोधिनी टीका सहित - श्री आदि चन्द्रप्रभु आचार्य श्री प्रका. - श्रीमती दानशीला सौ भँवरीदेवी पांडिया, सुजान गढ (राज) टीकाकार श्री. पं. मक्खनलाल शास्त्री महावीर कीर्ति. पातंजल योगसूत्र - अनुवाद - नर्मदाशंकर बालशंकर पंड्या, प्रका. - सस्तुसाहित्य वर्धक कार्यालय, रायखड भद्र, प्रिन्से स्ट्रीट मुंबई २. पाहुड दोहा - मुनि रामसिंह संपा. हीरालाल जैन, प्रका. - गोपाल अंबादास चवरे, कारंजा जैन पब्लिकेशन सोसायटी बरार कारंजा इ. स. १९३३. पुरुषार्थ सिध्युपाय - श्रीमद् अमृतचन्द्राचार्य प्रका. - सुरेश सी. जैन बी - १३०४ हौज खास नई देहली ११००१६ व्याख्याकार - क्षुल्लक धर्मानंद प्रथमावृत्ती इ. स. १९९६. पुष्कर सूक्ति कलश - श्री देवेन्द्रमुनिजी म., संपा. दिनेशमुनिजी प्रका. - श्री. तारक गुरू जैन ग्रन्थालय, शास्त्री सर्कल उदयपुर ३१३००१, प्रथमावृत्ती इ. स. १९९१. प्रवचन सार - आचार्य कुन्दकुन्द प्रका. श्री. वीतराग सत् साहित्य प्रसारक ट्रस्ट ६०२, कृष्णनगर, भावनगर (गुजरात), संपा. हिंमतलाल जेठालाल शाह वि. सं. २०३२. प्रशमरति प्रकरण - वाचक उमास्वाति, संपा. पं. राजकुमारजी साहित्याचार्य, प्रका. - शेठ मणीलाल रेवाशंकर जगजीवन जौहरी परमश्रुत प्रभावक मंडळ चौकसी चेम्बर जौहरी बाजार बम्बई प्रथम आवृत्ति इ. स. १९५०. प्रश्न व्याकरण सूत्र - श्री आ. प्र. स. जैन स्थानक पीपलिया बाजार ब्यावर इ. स. १९८३ अनवादक मनि श्री. प्रविणऋषिजी म. संपा. प. आ. देवेन्द्रमनिजी म. प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास - डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री प्रका.- तारा पब्लिकेशन्स वाराणसी इ. स. १९६६. Hin Loanna

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