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(७.३)
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छगनलालजी गूंथा राजकोट इ. स. १९९५. संस्कृत ग्रंथांतर्गत जैन दर्शनातील नवतत्वे, - जैन साध्वी धर्मशीलाजी म. उज्ज्वल
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पद्मविजयजी गणिवर जैन ग्रन्थमाला ट्रस्ट पद्मप्रकाशन, ५ उमा सोसायटी, पालडी
अमदाबाद ७ इ. स. १९८५. श्री उत्तराध्ययन सूत्र - श्री. अ. भा. साधुमार्गी जैन संस्कृति रक्षक संघ सैलाना (म.
प्र.) संपा. रतनलाल दोशी द्वितीयावृत्ति वि. सं. २०१४. श्रीमद् भगवत् गीता (यथारूप) श्री ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामीप्रभुपाद प्रका. - अन्तर