Book Title: Jain Darshan Bhavna Part 02
Author(s): Punyasheelashreeji
Publisher: Sanskrit Pragat Adhyayan Kendra

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Page 363
________________ (७५१) वैराग्य भावना - श्री भक्तिविजयजी गणि प्रका. - शेठ नवलचंद खीमचंद जव्हेरी गोपी पुरा, सुरत सहावी आवृत्ति इ. स. १९३३. वैराग्य भावना संग्रह - श्रीमद् राजचन्द्र, स्वाध्याय मण्डल नेमिनगर इन्दौर, पंचम आवृत्ति इ. स. १९६७. वैराग्य शतक भा. १ - मुनि श्री विनयचन्द्रजी, म., प्रका. - स्थानकवासी कार्यालय अहमदाबाद पंचभाईनी पोळ इ. स. १९६४. शान्तसुधारस - उपाध्याय विनयविजयजी, प्रका. - श्री. महावीर जैन विद्यालय अगस्त क्रान्ति मार्ग मुंबई ३६, संपा. मोतीचंद गिरधरलाल कापडिया, चौथी आवृत्ति इ. स. १९७६. शांतसुधारस - उ. विनयविजयजी, प्रका. श्री विश्वकल्याण प्रकाशन ट्रस्ट, कंबोई नगर के पास, मेहेसाणा ३८४००२ संपा. विजय भद्रगुप्तसुरिश्वरजी म. शील की नववाड - श्रीमदाचार्य भीषणजी, जैन श्वे. तेरापंथी महासभा ३ पोतृगीज चर्च स्ट्रीट कलकत्ता १, अनुवादक-श्रीचन्द रामपुरिया, प्रथमावृत्ती इ. स. १९६१. सत्यबोध सज्झाय संग्रह - तिलकत्राषिजी म. श्री जैन धर्म प्रसारक संस्था, सदर बाजार नागपूर. 'सम्बोधि के पथ पर' - मुनि शुभकरण, प्रका. - लाडन् इ. स. १९८७. सम्बोधि - यु. महाप्रज्ञ प्रका. - तुलसी अध्यात्म नीडम् जैन विश्वभारती लाडनु चूर तृतीय इ. स. १९८१, सभाप्य तत्त्वार्थाधिगम सत्र उमास्वाती, अनु. पं. खुबचन्दजी सिद्धान्त शास्त्री, श्री परमश्रुत प्रभावक जैन मंडळ, जौहरी बजार, खारा कुवा, बंबई २ इ. स. १९८१, १९३०. समणसुत्तं - वर्णिजी, सर्व सेवासंघ प्रकाशन, राजघाट, वाराणसी १ प्रथम संस्करण इ. स. १९७५. समतायोग - रतनमुनि संपा. श्रीचंद सुराणा 'सरस', श्रीराम प्रसन्न ज्ञानप्रसार केन्द्र, जैन स्था. भवन, चन्द्रपूर ४४२४०१, प्रथमावृत्ति इ. स. १९८०. समयसार - श्रीमद् कुन्दकुन्दाचार्य अनु. हिंमतलाल जेठालाल शाह श्री दिगंबर जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट सोनगढ (सौराष्ट्र), चतुर्थ आवृत्ति वि. सं. २०३३. समयसार प्रवचन विवेचक - पं. विजयमुनि शास्त्री प्रका. - श्री. व. स्था. जैन श्रावक संघ, जैन साधना सदन २५९ नाना पेठ पूना २ इ. स. १९७०. समराइच कहा - अनुवाद - कन्हैयालाल दक "न्यायतीर्थ" प्र. श्री. तिलोक रत्न स्था. जैन धा प. बोर्ड पार्थर्डी, अहमदनगर इ. स. १९७७.

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