Book Title: Jain Agamo Me Sukshm Sharir Ki Avdharna Aur Adhunik Vigyan Author(s): Mahavir Raj Gelada Publisher: Z_Jain_Vidya_evam_Prakrit_014026_HR.pdf View full book textPage 2
________________ १८६ जैन विद्या एवं प्राकृत : अन्तरशास्त्रीय अध्ययन का होना स्वीकार नहीं करता है यद्यपि सभी स्थूल पुद्गल संहति सहित होते हैं । इस दृष्टि से जैनों की पुद्गल की परिभाषा, विज्ञान के पदार्थ की परिभाषा से भिन्न हो जाती है । संहति शून्य पुद्गल केवल चार स्पर्श के होते हैं ।" वे इस प्रकार हैंस्निग्ध, रूक्ष, शीत तथा उष्ण । इनमें गुरु लघु के स्पर्श नहीं होते हैं अतः इन सूक्ष्म पुद्गलों के पारस्परिक संयोग में जब स्निग्ध अथवा रूक्ष स्पर्श की बहुलता होती है तो गुरु लघु के स्पर्श उत्पन्न होते हैं । ( इसी प्रकार शीत और स्निग्ध स्पर्श की बहुलता मृदु स्पर्श तथा उष्ण और रूक्ष की बहुलता से कठोर स्पर्श बनता है) जैन दार्शनिकों ने पुद्गलों के पारस्परिक संयोग का विस्तार से वर्णन किया है । 3 जैनों ने माना है कि संहति शून्य होने के कारण ही सूक्ष्म पुद्गल तीव्र गति से लोक के एक भाग से दूसरे भाग में एक समय में ही पहुँच जाते हैं । संहति शून्य पुद्गल का विचार, जैनों से मौलिक है । साधारणतः देह को शरीर कहा जाता है। जैन दर्शन में जीव के क्रिया करने के साधन को शरीर कहा है । ४ अन्य परिभाषा के अनुसार जिसके द्वारा पौद्गलिक सुख-दुख का अनुभव किया जाता है वह शरीर है । " शरीर का निर्माण पुद्गल वर्गणाओं से होता है । प्राणी और पुद्गल का प्रथम सम्बन्ध शरीर है । प्राणी का सर्वाधिक उपकारी और उपयोगी पुद्गल शरीर है । कार्य कारण आदि के सादृश्य की दृष्टि से शरीर पाँच प्रकार के बताये हैं अग्नि, (१) औदारिक शरीर - ये स्थूल पुद्गल से बने हैं । पृथ्वी, जल, वनस्पति और त्रस जीवों के शरीर, औदारिक शरीर हैं । १. औदारिक शरीर । २. वैक्रियक शरीर । ३. आहारक शरीर । ४. तेजस शरीर । ५. कार्मण शरीर । (२) वैक्रियक शरीर -छोटा-बड़ा, हल्का - भारी, दृश्य-अदृश्य आदि विविध क्रियाएँ करने में यह शरीर समर्थ होता है । देव, नारकी तथा लब्धिजन्य मनुष्य एवं तिर्यंच के यह शरीर होता है । परिसंवाद ४ (३) आहारक शरीर - योगशक्तिजन्य शरीर । यह योगी मुनि के होता है । (४) तैजस शरीर - यह विद्युत परमाणु समूह का बना होता है । Jain Education International वायु, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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