Book Title: Jain Agam Vadya Kosh
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 62
________________ जैन आगम वाद्य कोश मुकुंद, मसुंद मुरय, मुरव वरमुरय सदुय हुडुक हुडुक्की होरंभ घन वाद्य - परस्पर टकराकर अथवा घर्षण के द्वारा जिन वाद्यों को बजाया जाता है उसे घन वाद्य के अंतर्गत लिया गया है। आमोट, आमोत कंसताल कच्छभी करधान कलताल, करताल किरिकिरिय कुक्कययं, कुंभा गोहिया घंटा घंटिया झंझा झल्लरि णंदिस्सरा तल ताल नंदिघोसा मकरिय रिंगिसिया रिगिसिगी लत्तिय वालिया Jain Education International पलासिय सणालिय सुमारा घो सुषिर वाद्य - फूंक से अथवा हवा से बजाए जाने वाले वाद्य को सुषिर वाद्य के अंतर्गत लिया गया है । कणिक खरमुही गोही तुडिय नंदिघोसा नाली नाली परिपरि परिली पव्वग, पच्चग पिरिपिरिया पिरिली, पिरली पेया बद्धक रगसिगा वंस वच्चग वाली वेणु वेणु पलासिय वेवा संख सिंग ५१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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