Book Title: JAINA Convention 2005 07 JCNC
Author(s): Federation of JAINA
Publisher: USA Federation of JAINA

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Page 14
________________ JA INA 2005 HEARTFELT BLESSINGS Thank you very much for your cordial invitation to join you in the forthcoming JAINA Convention. I regret very much my inability to attend. Physically, I am unable to remain present, but all my best wishes and heart-felt blessings are always with you for a sweeping success of the forthcoming convention. May your efforts prevail in the western world to extend our Jain Heritage for Global Peace and Harmony. Affectionately yours, ॐ ही नमः - मंगल संदेश - (Founder-Adhishthata) Shrimad Rajchandra Ashram, Koba विज्ञान और धर्म दोनों का विषय एक ही है, खोज करना । उस खोज के द्वारा अज्ञात को जानना दोनों का लक्ष्य है। दोनों की विषय वस्तु में अन्तर है और दोनों के लक्ष्य की दिशा भिन्न है। विज्ञान की खोज का विषय है, पदार्थ । बाहर जो भी है उसके गुण-धर्म-स्वभावको जानना विज्ञान का लक्ष्य है। धर्म की खोज का विषय है, आत्मा-परमात्मा । मैं कौन हूँ ? अपने स्वरूप को जानना धर्म का लक्ष्य है। धर्म है अन्दर की खोज, विज्ञान है बाहर की खोज । धर्म है अन्तर्यात्रा और विज्ञान है बहिर्यात्रा । नोर्थ केलिफोर्निया की सुरम्य घाटियों तथा सिलीकोन वैली की समृद्धि के बीच हो रहा जैना कन्वेन्शन धर्म और विज्ञान का अद्भुत संगम है। जहाँ विज्ञान की उपलब्धियाँ परम उत्कर्ष पर हैं, वहीं धर्म की दिशा में आगे बढ़ने का सक्रिय प्रयास है, जैना कन्वेन्शन । 8 JaiPEducation International 2010_03 Atamanand जैना कन्वेन्शन मात्र सामाजिक सम्मेलन ही नहीं है, किन्तु परमात्म मिलन के लिए सम्यक पुरुषार्थ भी है और ऐसा होना भीचाहिए। तभी आध्यात्मिकता और सामाजिकता का संगम होगा, अन्तर्यात्रा की दिशा में गति होगी और तभी जैन शब्द सार्थक होगा। दोनों दिशाओं में समाज को आगे बढ़ाना ही जैना कन्वेन्शन का लक्ष्य है। नर्थ अमेरिका का जागृत समाज इस दिशा में और जागरूक बनेगा। यही मंगल कामना - आशीर्वाद । Extending Jain Heritage in Western Environment For Private & Personal Use Only ܀܀܀܀܀ मुनि मनक कुमार पूना, भारत ܀܀ www.jainelibrary.org

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