Book Title: Hitopadesh
Author(s): Prabhanandsuri, Parmanandsuri, Kirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan

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Page 522
________________ हितोपदेशः । परिशिष्ट-१ : हितोपदेशमूलगाथानामकारादिक्रमः ।। ४७७ गाथा क्रमाङ्क: | गाथा क्रमाङ्कः गाथा क्रमाङ्कः १८५ ३३१ ५१८ २५५ २५९ ३१३ २२० ३८७ सीलं सुहतरुमूलं सुकुलुग्गयाहिं सुक्कज्झाणानल सुगयभयवंतसइवा सुन्नमणो वियलत्तं सुयसंघतित्थपमुहं सुरनरतिरिनारीसुं सुररइयकणयमय सुरवइकरकमल सुविसुद्धं सम्मत्तं १७३ | सुव्वइ य निसामिज्जइ ८२ | संते वि निवइदोसे २८७ सुव्वंति थूलभद्दो संतेसु संपराएसु २५१ / सुस्सूसाइ पयट्टइ २८४ संभमचलिरचउब्विह सुहभावमणुपविट्ठो २०९ संसारचारगगयं ३६९ सो होइ नाणविणओ हणइ फिर परकयं १६७ संकाइदोसरहिए २२ हियए ससिणेहो ४५६ संकाकंखविगं(गि)छा ___ २३ हिंसच्चिय नणु संतम्मि जिणवयणे १५९ | हुज्ज वरमणुवयारी संतम्मि भत्तिराए २७ | हुंति गुरू सुपसन्ना संते वि चित्तवित्ते हेमंते हिमगिरि २५२ २८१ ४७ ३८६ २२७ ३२६ २५३ Jain Education International 2010_02 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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