Book Title: Hitopadesh
Author(s): Prabhanandsuri, Parmanandsuri, Kirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan
View full book text
________________
परिशिष्ट-१ हितोपदेशमूलगाथानामकारादिक्रमः
गाथा
क्रमाङ्कः गाथा
३७६
१०६
३५९
क्रमाङ्क: गाथा क्रमाङ्कः
क्रमाङ्क: अइदुक्करं पि चरणं २० | अमयकंततणुगुणो ३७१ | इक्को वि अभिणिवेसो ३९६ अइदुब्भिक्खे नरनाह | अमुणियविसयविवागा १८१ | इच्चाई किंपि। अइदुल्लहं पि बोहिं १६९ अलियं पंचविगप्पं ४१६ | इत्तु च्चिय पुव्वभवे २९ अकलियपत्तापत्तं २४५ अवगन्निऊण नियतणु १०४ | इत्थ य सुत्तत्थाणं अक्खरसन्निप्पमुहा ८७ अवज्झाण-पमायायरिय ४३३ इत्थ य सुयनाणं १०० अक्खुद्दा य अकिविणा १३ | अवणीयं सीसाओ ३८९ इन्हेिं पि तरंति अच्चंतनिरणुकंपा
अवमाणं न पयंसइ २८६ इय अभयदेवमुणिवइ ५२२ अच्चंतभत्तिराओ २६ | अवही किल मज्जाया ८८ इय एसो भे! ४०९ अच्छउ पच्चुवयारो ३८५ / अवि दंतमित्तसोहण ४५५ इय जइ अणुवकया २६८ अट्ठपवयणमायाणुगयं ११० अविणीयं अणुयत्तइ २८० | इय दंसणमूलाई ४४४ अट्ठप्पयारवरपाडिहेर २५६ | अह तेसि वयण १४४ इय पडिहणियकसाया ५२१ अणथोवं वणथोवं ५१६ | अहह भवन्नपारं ३९९ इय भणियमभयदाणं ६७ अणसणमूणोयरिया १८९ अहिगयजीवाजीवाण इय भाइगयं उचियं २८३ अणुकंपादाणमिणं ७७ | अहिंगारी जं एसो १५५ इय लोउत्तरविणओ २२३ अणुगामिमणणुगामि ९१ | अंधाण य पंगुण
इय सत्तसु खित्तेसुं १७० अत्तुक्करिस-कयग्घत्त ४१ आएसं बहुमन्नइ
इय समणाणं दाणं १२८ अत्तुक्करिसपहाणे ३६५ आपुच्छिउं पयट्टइ २७५ इय समिइगुत्ति अन्नह कहमरिहंता ३९१ आमरणंतं च भवे ९२ इयरो वि नरो ३३० अन्नाईणं सुद्धाण ४४२ आमाणुसुत्तराओ ९४ इरिया-भासा-एसण ४६६ अन्नायपवंचेहिं ५०७ आमोसहि-विप्पोसहि इरियासमियाण
४६७ अन्ने पयंडभुयदंड
आरंभनियत्ताणं १३२ इंगाली-वण-साडी ४३१ अन्ने भुंजंता २०५ आसावदारपवित्ती ३५२ उग्गमउप्पायण अन्नं पि दुक्करं
आहरगा वि ४८९ उचियाचरणेण नरो ३२० अन्नं पि हु जं आहारदेहसक्कार ४३९ / उचियं एयं तु
२७८ अप्पडिदुप्पडिलेह ४४१ / इक्कस्स वि ताव १६० | उच्चालियम्मि चरणे ४६९
___ १३५
३००
४८७
१९७
४७७
१७५
३८
Jain Education International 2010_02
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534