Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Sankshipta Itihas
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 287
________________ शुद्धि-पत्र ५४ पंक्ति अशुद्ध पिलग्रिक्स मत्य उदाहरणणार्थ प्राणों का पिलग्रिम्स सत्य उदाहरणार्थ पत्तों का ब ८३ ९१ ९१ 42MMrror urvarn vM ९५८ १०६ २० इसमें गिरनंदण विनयचंद्र छत्रपति कृपण चरित्र छेरी ध्यानु अच्छे तूहि तजे पंचास्त यात्रा रायमल्ल वासनावर्द्धक नवीनयुग नाहिं ११९ मिरनंदण नियमचंद पुत्र पति कृष्णचरित्र थेरी ध्वानु अन्धे तू हित पचान्ति थात्रा राजचन्द्र वासनापूर्वक जीवनयुग ताहिं मत भाम १३१ १३ १३२ १३९ ४ १४३ १४४ १८ १४८ ५ १५० ३ १५१ १७ मन भान

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