Book Title: Hastinapur Author(s): Vijayendrasuri Publisher: Kashinath Sarak MumbaiPage 22
________________ सागर स्थिति वाले देव हुए। निरयावलियाओ२४ में हस्तिनापुर के बल गृहपति का उल्लेख मिलता है जो बाद में साधु हो गया था तथा संलेखना करके मर के सौधर्म नामक देवलोक में बल नाम के विमान में दो सागरोषम स्थितिवाला देव हुआ, फिर वह व्यव करके महाविदेह क्षेत्र से सिद्धगति को प्राप्त होगा। अणत्तरोववाइयदसाओ २५ में हस्तिनापुर के पोट्टिल नामक व्यक्ति का उल्लेख है जिसने महावीरस्वामी से दीक्षा ली थी। यह एक मास की संलेखना कर के मृत्यु को प्राप्त हुआ और सर्वार्थसिद्ध नाम के देवलोक में उत्पन्न हुआ, वहां से च्यव कर के महाविदेह में उत्पन्न होगा वहां से मोक्ष में जायेगा। हस्तिनापुर में शिवराज नाम के राजा थे, उनकी पट्टरानी का नाम धारणी था और पुत्र का नाम शिवभद्र था। ये शिवभद्र को गद्दी पर बैठा कर वानप्रस्थ तापस बन गये । तपस्या करने से राजा को विभंगज्ञान हुआ २५. अभिषानराजेन्द्र, भाग ५. पृष्ठ ११२०. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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