Book Title: Haim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 02 Author(s): Dineshchandra Kantilal Mehta Publisher: Ramsurishwarji Jain Sanskrit PathshalaPage 14
________________ હ્યસ્તની EEEEEEEEEE. ચોથા ગણના કર્તરિ રૂપ ૨૯૩ पुष् - ५.५. पोष, पोषा ४२वु (मनिट) વર્તમાના श्वस्तनी पुष्यावः पुष्यामः | पोष्टास्मि पोष्टास्वः पोष्टास्मः पुष्यसि पुष्यथः पुष्यथ पोष्टासि पोष्टास्थ: पोष्टास्थ पुष्यति पुष्यतः पुष्यन्ति पोष्टा पोष्टारौ पोष्टारः ભવિષ્યન્તી अपुष्यम् अपुष्याव अपुष्याम | पोक्ष्यामि पोक्ष्याव: पोक्ष्यामः अपुष्यः अपुष्यतम् अपुष्यत | पोक्ष्यसि पोक्ष्यथः पोक्ष्यथ अपुष्यत् अपुष्यताम् अपुष्यन् | पोक्ष्यति पोक्ष्यतः पोक्ष्यन्ति विध्यर्थ ક્રિયાત્તિપત્યર્થ पुष्येयम् पुष्येव पुष्येम | अपोक्ष्यम् अपोक्ष्याव अपोक्ष्याम पुष्येः पुष्येतम् पुष्येत अपोक्ष्यः अपोक्ष्यतम् अपोक्ष्यत पुष्येत् पुष्येताम्. पुष्येयुः अपोक्ष्यत् अपोक्ष्यताम् अपोक्ष्यन् . माशार्थ આશીર્વાદાર્થ पुष्याणि पुष्याव पुष्याम | पुष्यासम् पुष्यास्व पुष्यास्म पुष्यतम् पुष्यत | पुष्याः पुष्यास्तम् पुष्यास्त पुष्यतु पुष्यताम् पुष्यन्तु पुष्यात् पुष्यास्ताम् पुष्यासुः પરીક્ષા | अतनी (हो ॥२) पुपोष पुपुषिव पुपुषिम | अपुषम् अपुषाव अपुषाम पुपोषिथ पुपुषथुः पुपुष अपुषः अपुषतम् अपुषत पुपोष पुपुषतुः पुपुषुः अपुषत् अपुषताम् अपुषन् पुष्यPage Navigation
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