Book Title: Gyanchakshu Bhagwan Atma
Author(s): Harilal Jain, Devendrakumar Jain
Publisher: Tirthdham Mangalayatan

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Page 259
________________ 250 ज्ञानचक्षु : भगवान आत्मा शुद्धात्मा को बारम्बार भाना - ऐसी भावना द्वारा भव का नाश होकर शिवपद प्राप्त होता है। - - जय हो..... ध्येयरूप परमात्म भगवान की। - जय हो..... निज परमात्मदर्शन के लिए ज्ञानचक्षु दातार गुरुदेव की। - जय हो.... अनेकान्त रहस्य भरपूर जैन शासन की।

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