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ज्ञानचक्षु : भगवान आत्मा
शुद्धात्मा को बारम्बार भाना - ऐसी भावना द्वारा भव का नाश होकर शिवपद प्राप्त होता है। - - जय हो..... ध्येयरूप परमात्म भगवान की।
- जय हो..... निज परमात्मदर्शन के लिए ज्ञानचक्षु दातार गुरुदेव की।
- जय हो.... अनेकान्त रहस्य भरपूर जैन शासन की।