Book Title: Gyanbhandar Prashasti Author(s): Pradyumnasuri Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 5
________________ 10 नग शर तिथि मित वर्षे हर्षेण परीक्षिपासवीरेण / चित्कोशे लेखनस्य प्रारंभः कारयामास // 19 // साधर्मिकवात्सल्यश्रीकल्पमहाद्यगण्यपुण्यानि / कुर्वन् बंधुसमेतस्तदंऽगजो राम नामायं // 20 // बहुमूल्यपट्टिकाढ्यं स्फारफरंगी-कतीफकसुपृष्टं / सज्जातरूपरूपं वराक्षरं चतुरचित्तहरम् / / 21 // षट्लक्षा षट्त्रिंशत्सहस्रमानसमग्रसिध्धांतं / / निजजनकप्रारब्धं संपूर्णमलीलिखद्भक्त्या / / 22 / / कुलकं // संशोधितः स्वशक्त्या शुभभूषणनामपंडितप्रवरैः / विबुधजनवाच्यमानः चित्कोशोऽयं चिरं जीयात् // 23 / / चातुर्विद्य मोढ ज्ञातीय त्रवाडी वासा सुत श्रीनाथ लिखितं श्री: म चातुर्विद्य मोढ ज्ञातीय त्रवाडी वासा सुत गोव्यंद लख्यतं / / श्रीः॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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